Thursday, May 5, 2011

...


It's been more than 2 years since I came across this small note.. 

जा  रहे  हैं  तेरे  शेहर  से लेकिन..
लौट  कर  न  आयेंगे, ये  वादा  नहीं  करते..

कोशिश  करेंगे  तुझे  याद  न  करने  की लेकिन..
तुझे  भूल  जाने  का  हम  इरादा  नहीं  रखते..

उम्मीद  है, मगर  ऐतबार  नहीं.. तेरे  मिलने  का  हमें..
क्यूंकि  हम  इत्तेफाक  का  यकीं, ज्यादा  नहीं  करते..

जुबां  से  ना  कहो  मगर .. प्यार  तो  तुम्हे  भी  हमसे  है..
रातों  में  यूँ  ही  करवटें  बदला  नहीं  करते..

फुर्सत  मिले  गर  तुम्हे  दुनिया  की  रिवायतों  से  लड़ने  से..
तो  सोचना  कभी..
होती  है  कुछ  न  कुछ  मजबूरियां  सबकी..
जहां  में  लोग  यूँही  बेवफा  बना  नहीं  करते........



And it still leaves me speechless :)