Monday, December 8, 2008

Kyun?

आज बार बार यही सवाल सबके सामने रहा है,
क्या दहशत फैलाना ही कुछ लोगों का मक़सद बन गया है?
क्या किसी के भी दर्द का एहसास नहीं इन्हे?
क्या ख़ुद की मौत का भी
खौफ नहीं इन्हे?
क्यूँ कुछ लोगों की बदौलत, पूरे मज़हब पर ऊँगली उठती है?
क्यूँ कुछ लोगों की हैवानियत से, एक मुल्क की नब्ज़ रुक जाती है?
हिंदूं हो या मुसलमान,
हम जुड़े तो इंसानीयत के रिश्ते से ही हैं.
सीख़ हो या इसाई,
ऊपर वाला तो सबका एक ही है.


Bold
फिर क्यूँ खुदा के नाम पर हर ज़ुल्म होता है?
क्यूँ इस मज़हब की लडाई में सका नाम बदनाम होता है?

2 comments:

  1. Arre wah,after so long u finally got down to penning something.Hopefully we will get to read more of it.Gud show.

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  2. hey!thats very nice! do keep writing!maybe one day we will read yr articles in the news paper or magazine! good job!

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